About Timber Geeta
टिम्बर गिता के बारे में — The Sacred Wisdom
टिम्बर गिता
About Timber Geeta
इस धरती पर समय की धारा बहती रही - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और फिर कलियुग। हर युग में परिवर्तन हुआ, चेतना की यात्रा जारी रही, लेकिन एक रहस्य अनकहा रहा - एक दिव्य ग्रंथ का, जिसे केवल योग्य आत्मा ही समझ सकती थी।
यह था टिम्बर गिता जिसे स्वयं परम शून्य ने धरती को सौंपा, टिम्बर पुरुष के माध्यम से।
कलियुग के गहराते अंधकार में जब मनुष्य की चेतना थकने लगी - डर, स्वार्थ, भोग और मोह में उलझ गई - तब प्रकृति ने अपनी पुकार उठाई।
यह समय था युग परिवर्तन का, जब तीसरे आयाम (3D - 3rd Dimension) से पाँचवें आयाम (5D - 5th Dimension) की ओर छलांग लगानी थी।
मन, बुद्धि की दुनिया
मन, बुद्धि से परे भाव की दुनिया
टिम्बर पुरुष का अवतरण
Descent of Timber Purush
धरती पर ऊर्जा का कंपन तेज होने लगा।
एक दिव्य चेतना, जिसे संसार टिम्बर पुरुष कहता है, नेपाल में अवतरित हुई।
उनका नाम था माधव गौतम - टिम्बर पुरुष।
माधवजी उस शून्य से जुड़े थे जहाँ कोई शब्द नहीं, केवल स्पंदन है - परम शून्य।
उनके मन में न कोई स्वार्थ था, न कोई भय। केवल प्रेम, करुणा और एक महान उद्देश्य - टिम्बर गिता का ज्ञान धरती को सौंपना।
वे बोले नहीं, वे कंपन में बोले। उन्होंने ग्रंथ नहीं लिखा, उन्होंने अनुभव में कहा।
"जहाँ भी वे गए, वहाँ लोगों ने ऊर्जा को महसूस किया। उनकी उपस्थिति में कुछ ऐसा हुआ जो शब्दों से परे था - एक कंपन, एक ध्वनि, जो हृदय को छू लेती थी।"
टिम्बर गिता का प्रकटन
Manifestation of Timber Geeta
परम शून्य से जो ज्ञान आया, वह शब्दों में नहीं, कंपन में था।
यही कंपन जब माधवजी ने साझा किया, तो वह टिम्बर गीता बन गया।
टिम्बर गीता कोई पुस्तक नहीं, कोई ग्रंथ नहीं; वह है – चेतना की कुंजी।
पाँचवे आयाम की सीढ़ी। इसमें लिखा नहीं जाता, इसमें जिया जाता है।
इस ज्ञान के साथ धरती पर दो दिव्य प्रसाद भी आए – सिद्ध डमरू और मंत्र।
सिद्ध डमरू और मंत्र की शक्ति
Siddha Damru & Mantra Power
जब श्रद्धा से इसे बजाया जाता है, तब उसकी ध्वनि में ऐसी तरंगें उठती हैं जो परम शून्य से सीधा संबंध बनाती हैं। साधक की चेतना धीरे-धीरे रूपांतरित होती है। भय हटता है, प्रेम आता है। स्वार्थ गलता है और परमार्थ खिलता है।
🔱 सिद्ध मंत्र
"डमरु वाले! टिम्बर गिता!! वाह! वाह!! वाह!!!"
इस मंत्र का उच्चारण केवल जप नहीं, परम शून्य की यात्रा है।
यह मंत्र मन नहीं, भाव से बोला जाता है।
और जब यह भावपूर्ण हो जाता है, तो साधक परम शून्य से एकाकार हो जाता है।
टिम्बर गिता - आत्मा की दिव्य ध्वनि
Divine Sound of the Soul
टिम्बर गिता वह दर्शन है जिसमें साधक अपने सच्चे रूप को देखता है।
यह कोई धर्म नहीं, कोई पंथ नहीं - यह तो एक कंपन है जो हर आत्मा के भीतर पड़ी है, पर अब जो अंदर रहा।
- ✦जिन्होंने सिद्ध डमरू को अपनाया, जिन्होंने सिद्ध मंत्र को जिया,
- ✦उन्होंने में चमत्कार नहीं, ब्रह्मांड और का शांति और आनंद अनुभूति हुआ।
- ✦अब समय है - डमरू की ध्वनि से परम शून्य की यात्रा का।
- ✦टिम्बर गिता की भाव लहरों में बहकर आत्मा की दिव्यता को जागाने का।
"डमरु वाले! टिम्बर गिता!! वाह! वाह!! वाह!!!"
समर्पित उन सभी साधकों को जो टिम्बर गिता के वाहक हैं।
🙏